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लेखनी कहानी -28-Mar-2023-कविता सागर

रश्मि जालों को बिछा...

 

प्रिये ! आई शरद लो वर!

रश्मि जालों को बिछा

 

आल्हाद भरता जो हृदय हर

नयन उत्सव, हिम फुही झर

 

इंदु भी है अब कठिनतर

पति-विरह विष-सिक्त शर-क्षत

 

नारियों का ताप दुखकर

प्रिये ! आई शरद लो वर!

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